
यूपी के बुलंशहर में एक अजीबो ग़रीब वारदात सामने आई. घटना जिसमें जवाब कम और सवाल ज़्यादा हैं. वारदात 182 दिनों से लापता बीएसएफ़ के दरोग़ा की, जिसे ढूंढना पुलिस के लिए एक रहस्यमय पहेली को सुलझाने से ज़्यादा कठिन हो गया है. लंबे समय से चल रही इस गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिस ने फ़ैसला किया है कि अब वो लापता जवान के घरवालों से लाइ डिटेक्टर के ज़रिए पूछताछ करेगी.
दरअसल, रामपाल सिंह नाम का बीएसएफ़ जवान राजस्थान के जैसलमेर में तैनात था. लंबे समय से घर से बाहर जवान 29 मार्च को जगतपुर सेवा में मौजूद अपने घर लौटता है. हालाकी 30 मार्च को ठीक एक दिन बाद उन्हें विशेष ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद जाना था. मगर 29 मार्च को ही रामपाल ग़ायब हो जाते हैं.
इसके बाद रामपाल के भाई वेदप्रकाश इसकी शिकायत एसएसपी कार्यालय में जाकर करता है. भाई बताता है कि उसने रामपाल को हैदराबाद जाने के लिए बाबूगढ़ छावनी छोड़ा था. और यह भी कहता है कि भाई की हत्या कर दी गई है.
साथ ही लापता भाई को खोजने में पुलिस लापरवाही के ख़िलाफ़ रामपाल का वेदप्रकाश और उसकी पत्नी ज़िलाधिकारी के घर के बाहर देर रात धरना भी देते हैं. जिसके बाद पुलिस मौक़े पर पहुँची और ज़ांच को आश्वासन दिया.
उसके बाद से पुलिस पूछताछ में झूटी हैं और अब तक मामले में कोई सफलता नहीं हाथ लगी है. बीएसएफ़ जवान की गुमशुदगी की जाँच क्राइम ब्रांच कर रही है.
बहरहाल एसएसपी संतोष कुमार का कहना है कि पड़ताल जारी है, लापता जवान की अंतिम लोकेशन और घरवालों से लाइव डिटेक्टर के ज़रिए पूछताछ की जाएगी. जल्द ही मामले का खुलासा होगा.