
जिस संयुक्त राष्ट्र महासभा में तालिबान सरकार के मुद्दे पर दुनिया चर्चा करने के लिए बैठने वाली है. उसमें तालिबान सरकार ने शामिल होने की मांग रख दी है. तालिबान के विदेश मंत्री और घोषित ग्लोबल आतंकवादी आमिर खान मुत्ताकी ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस को पत्र लिखा.
मुत्ताकी ने इस पत्र में कहा कि तालिबान को अपना पक्ष रखने के लिए एक वैश्विक मंच की जरूरत है. यूएन ने भी पुष्टि की है कि तालिबान वैश्विक नेताओं को यूएनजीए के मंच से संबोधित करना चाहता है.
तालिबान ने सिर्फ मांग ही नहीं रखी बल्कि संयुक्त राष्ट्र के नये स्थाई प्रतिनिधि के रूप में अपने प्रवक्ता मुहम्मद सुहैल शाहीन को नॉमिनेट भी कर दिया है. तालिबान सरकार की UNGA में संबोधन की ख्वाहिश नामंजूर हुई तो पाकिस्तान ने नया राग छेड़ दिया. जिसकी वजह से 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में होने वाली सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द करनी पड़ गई. दरअसल हुआ यूं कि
सार्क के ज्यादातर सदस्य चाहते थे कि सार्क मीटिंग के दौरान अफगानिस्तान के प्रतिनिधि की कुर्सी खाली रखी जाए.
लेकिन पाकिस्तान इस बात पर अड़ गया कि अफगानिस्तान की तरफ से तालिबान सरकार के प्रतिनिधी को मीटिंग में शामिल किया जाए. पाकिस्तान ने गनी सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने की अनुमति देने से भी इंकार कर दिया. जिसके बाद भारत समेत सार्क के ज्यादातर देशों ने भी तालिबानी प्रतिनिधि को सार्क मीटिंग में शामिल होने देने से साफ इंकार कर दिया. आपसी सहमति ना बन पाने की वजह से आखिरकार सार्क की मीटिंग ही कैंसिल हो गई और पाकिस्तान का तालिबान प्रेम एक बार फिर दुनिया के सामने आ गया. लेकिन इमरान कबतक इसे कबूल करने से बचेंगे.