
अफगानिस्तान की सत्ता में 20 साल बाद वापसी करने वाले तालिबान ने अपने सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत की खबर पर से पर्दा उठा दिया है। महीनों से चले आ रही अटकलों को विराम देते हुए अब तालिबान ने सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत की पुष्टि कर दी है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आतंकी संगठन ने बताया कि 2016 से तालिबान का मुखिया रहा हैबतुल्लाह अखुंदजादा साल 2020 में पाकिस्तान में एक आत्मघाती हमले में मारा गया था।

तालिबान का सुप्रीम लीडर
अखुंदज़ादा तालिबान का सर्वोच्च नेता था जो समूह के धार्मिक, राजनीतिक, और सैन्य मामलों पर अपना अधिकार रखता था. अखुंदज़ादा को इस्लामिक कानून का विद्वान माना जाता है. साल 2016 में अमेरिका ने एक ड्रोन हमले में तालिबान के प्रमुख अख्तर मंसूर को मार गिराया था. इसके बाद अखुंदज़ादा को मंसूर का उत्तराधिकारी बनाने का ऐलान किया गया. कहा जाता है कि अखुंदज़ादा की उम्र करीब 60 साल की रही होगी.

कट्टर इस्लामी सोच के हैं अखुंदज़ादा
अखुंदज़ादा कंधार का एक कट्टर धार्मिक नेता है. 1980 के दशक में, उसने अफगानिस्तान में सोवियत सैन्य अभियान के खिलाफ इस्लामी अभियान चलाया था. लेकिन उन्हें एक सैन्य कमांडर से ज्यादा एक धार्मिक नेता के तौर पर लोग जानते हैं. कहा जाता है कि अखुंदज़ादा ने ही इस्लामी सज़ा की शुरुआत की थी. जिसके तहत वो खुलेआम मर्डर या चोरी करने वालों को मौत की सज़ा सुनाते थे. इसके अलावा वो फतवा जारी करते थे.

मुल्ला उमर का करीबी है अखुंदजादा
अखुंदजादा जो की मुल्ला उमर का करीबी था और इसने युद्ध को सही ठहराने के लिए धार्मिक फरमान तैयार करने में मदद करता था. वह मुल्ला उमर की तरह ही कंधार प्रांत का मूल निवासी था, जो तालिबान के 1996-2001 शासन का केंद्र था. अफगानिस्तान की गुप्त सेवा के पूर्व प्रमुख रहमतुल्ला नबील के अनुसार, तालिबान अदालतों के प्रमुख के रूप में अखुंदजादा अपने फैसलों को लेकर क्रूर था और महिलाओं के बारे में अपने विचारों को लेकर वह पूरी तरह से चरमपंथी था.