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Facebook पर ले रहा था ऑर्डर, हथियारों की कर रहा था होम डिलीवरी!

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जांच में पता चला कि इस मॉड्यूल के संबंध पाकिस्तान और एंटी नेशनल एलिमेंट्स से भी हैं जिसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता था । ये गैंग कुख्यात बदमाशो को हथियार सप्लाई करता था और इस पर 11 पुराने मामले दर्ज हैं। स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट (साइपेड) ने अवैध हथियार बेचने में शामिल सोशल मीडिया पर चल रहे एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।

सेल ने जोधपुर के रहने वाले 38 साल के हितेश सिंह को इस मामले में गिरफ़्तार किया है। साइबर सेल के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक सोशल मीडिया पर नजर रखने के दौरान, यह पता चला कि कुछ फेसबुक प्रोफाइल/यूआरएल ने पोस्ट/वीडियो शेयर किए थे जिसमें वो अवैध हथियारोंकी बिक्री की पेशकश कर रहे थे। उन्होंने अपने फेसबुक पेजों पर हथियारों और गोला-बारूद की तस्वीरें और वीडियो भी डाल रखे थे।

डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक इनमें से सबसे मुख्य गैंग लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप के नाम से एक ग्रुप था। रोहिणी कोर्ट शूट आउट में गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या के बाद पुलिस इस गैंग पर नजर बनाए हुए थी। जांच के दौरान, लॉरेंस बिश्नोई से संबंधित फेसबुक प्रोफाइल की जांच की गई और पाया गया कि फेसबुक पर दोस्तों की लिस्ट में से हितेश राजपूत उर्फ हिरपाल सिंह का फेसबुक पर एक अलग प्रोफाइल भी था जो बिक्री के लिए अवैध हथियारों की पेशकश भी कर रहा था।

पुलिस ने इस प्रोफाइल की जांच करना शुरु किया जो ऑनलाइन हथियार सप्लाई करने के ऑफर दे रहा था। हीरपाल सिंह के एक्टिव प्रोफाइल की पहचान की गई। फेसबुक प्रोफाइल आईडी के साथ एक सौदा हुआ और अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कॉन्टैक्ट किया गया। कॉन्टैक्ट के दौरान हथियारों के वीडियो हिरपाल ने शेयर किए थे और उसी के लिए एडवांस कैश अपने बैंक एकाउंट में जमा कराया था।

आरोप है कि हितेश सिंह उर्फ ​​लंगड़ा को हरियाणा के मानेसर से तब पकड़ा गया जब वह बाकि कैश लेने आया था । उसके मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच की गई जिससे आगे काम करने की लीड मिली है । जांच में ये भी सामने आया है कि हितेश के संबंध पाकिस्तानी में भी हैं। आरोपी हितेश सिंह पेशेवर अपराधी है और वो राजस्थान की कई जेलों में बंद रहा है।

हथियार खरीदने के लिए CONTACT NUMBER भी दे रखा था

नए अपराधियों को पैसे लेकर भी नहीं देता था हथियार

जांच में ये भी पता चला है कि वह नए अपराधियों को धोखा देता था और केवल कुख्यात अपराधियों को हथियारों की सप्लाई करता था। पूछताछ में पता चला कि उसने अपनी अपराधिक जीवन की शुरुआत साल 2010 में की थी। उसने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक किताब की दुकान में चोरी की थी। जेल से बाहर आने के बाद वह बाइक चोरी कर बेचने लगा। जेल में उसकी मुलाकात एक डकैत धन सिंह पीपरोली उर्फ ​​ठाकुर धनु प्रताप सिंह राठौर से हुई जो उसका गुरु बन गया।

खरीददारी के लिए कई तरह की पिस्टल की फोटो डाली गई थी

राजस्थान के सबसे बड़े ट्रांस्पोर्टर का मारने की ली थी सुपारी

2013 में जब हितेश सिंह जोधपुर जेल से जमानत पर रिहा हुआ तो उसके गुरु धन सिंह पीपरोली ने उसे शैतान सिंह टेकरा नाम के राजस्थान के बड़े ट्रांस्पोर्टर को मारने का काम दिया। हितेश सिंह ने सुनियोजित हत्या की योजना बनाई और फायरिंग को अंजाम दिया लेकिन शैतान सिंह बाल-बाल बच गए । शैतान सिंह पर फायरिंग इस वजह से कराई गई थी कि निजी बस सेवा चलाने में शैतान सिंह पूरे राजस्थान पर हावी था और छोटे खिलाड़ियों ने शैतान सिंह को मारने के लिए धन सिंह पीपरोली से संपर्क किया था।

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