साइबर सेल की ख़ास मुहिम
LATEST CRIME NEWS: दिल्ली पुलिस का साइबर सेल उन धोखधड़ी करने वालों के ख़िलाफ़ लगातार मुहिम जारी रखे हुए है जो भोले भाले नागरिकों की गाढ़ी कमाई पर गिद्ध नज़र लगाए बैठे हुए हैं। दिल्ली के उत्तरी ज़िला की पुलिस ने इसी सिलसिले में दो जालसाज़ों को गिरफ़्तार किया जो क्रेडिट कार्ड के प्वाइंट को कैश कराने का झांसा देकर जेब काट लिया करते थे।
दिल्ली के सिविल लाइंस इलाक़े में रहने वाले हेतराम ने साइबर क्राइम पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के मुताबिक जालसाज़ों ने उनके साथ धोखाधड़ी करके उनके क्रेडिट कार्ड से 44000 रुपये हड़प लिए। शिकायत का सबसे चौंकानें वाला पहलू ये था कि उस क्रेडिट कार्ड में ट्रांजेक्शन के लिए आने वाला OTP भी उन्होंने किसी के साथ भी साझा नहीं किया था। बल्कि इस मामले में उनके पास कोई OTP आया ही नहीं।
क्रेडिट प्वाइंट के बहाने काटते थे जेब
LATEST CRIME NEWS IN HINDI:पुलिस के पास पहँची शिकायत के मुताबिक क्रेडिट कार्ड से जो रकम निकाली गई वो एक वॉलेट में गई जबकि रकम का कुछ हिस्सा शॉपिंग वेबसाइट पर ऑन लाइन रेंट पेमेंट वेबसाइट पर गई थी। शिकायत मिलते ही पुलिस ने एक टीम तैयार की और दोषियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाना शुरू किया।
पुलिस ने टैक्निकल सर्वेलांस का सहारा लिया वॉलेट से जुड़े मोबाइल नंबर का पता लगाकर उसका CDR हासिल कर लिया। मोबाइल का पता लगते ही पुलिस को संदिग्ध की लोकेशन मिल गई और जाल बिछाकर पुलिस ने सोनीपत में मुरथल के पास एक संदिग्ध को धर दबोचा। वो वहां पराठा खाने गया था। उसको दबोचने के बाद पुलिस ने उसकी निशानदेही पर एक दूसरे आरोपी को भी धर दबोचा।
बिहार से आए दिल्ली के दो ठग गिरफ़्तार
CYBER CRIME IN DELHI : दोनों आरोपियों की पहचान दीपक कुमार और रत्नेश कुमार गिरी के तौर पर हुई। पुलिस की पूछताछ में दोनों ने अपने गुनाह को कबूल कर लिया। पुलिस ने उनके पास से सात मोबाइल, 17 सिम और दो लेपटॉप बरामद किए। इसके साथ साथ पुलिस को उनके पास से तीन आधार, एक वोटर आईडी और सात बैंक खाते के साथ साथ 18 क्रेडिट कार्ड भी मिले।
पुलिस के मुताबिक दीपक और रत्नेश दोनों ही बिहार के रहने वाले हैं और पिछले चार सालों से दिल्ली में रह रहे थे। बकौल पुलिस ये दोनों रेंडम कॉल के जरिए उन लोगों को कॉल करते थे जो क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर रहे होते थे। और फिर ये दोनों बातों बातों में क्रेडिट कार्ड की जरूरी जानकारियों को अपने शिकारों से हासिल कर लेते थे।
सबसे हैरानी की बात ये है कि ये लोग क्रेडिट कार्ड का ओटीपी अपने ईमेल पर मंगवा लेते थे। और क्रेडिट कार्ड से रकम को हड़प कर उन्हें अलग अलग वॉलेट पर रखने के साथ साथ शॉपिंग वेबसाइट पर खर्च कर दिया करते थे।