
MURDER MYSTERY: बेटे जैसा दामाद सीनियर इंजीनियर था. घर की इकलौती बेटी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती. बेटा तो था नहीं सो बीवी भी अपनी इकलौती बेटी और दामाद के साथ मुंबई में रहती थी. लेकिन इस कहानी में एक पेंच है. आप पूछ सकते हैं कि इस कहानी में दामाद है,बेटी है, बीवी भी है. लेकिन पापा का क्या?
पापा के बारे में जानना है तो पहले एक छोटी सी पहेली सुलझाइए और अंत में हमें बताइए की आख़िर कैसे एक मामूली सी ग़लती आपको जुर्म की गहराइयों में ले जाने में इतना विवश कर देती है. डरिए नहीं बस अतं तक बने रहिए
एक शहर से दूसरे शहर की दूरी 500 किलोमिटर की थी. मापेंगे तो पता चलेगा की लगभग 500 किलोमिटर की इस दूरी में कई सुनसान जगहें आएंगी. लेकिन इसी सड़क पर एक लाश का रिसता हुआ लाल ख़ून पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन गया. बात ख़ून तक ठीक थी लेकिन फिर आता है ट्रॉली वाला एक ग़ज़ब का ट्विस्ट. ऐसा इसलिए क्योंकि क़ातिलों ने इंसाफ़ लगाने वाली रूह को जलाकर राख करने की कोशिश की. इसे सुन अगर आपका गला सूख रहा है और मन में बैचेनी के साथ दिल भी बैठा जा रहा है, तो कान और दिमाग़ खोल के हैवानों के बारे में जान और अच्छे से समझ लीजिए क्योंकि यहां रिश्तों का पहले हाफ़ मर्डर होता है फिर बची कुची कसर उसी डोर को जला कर पूरी कर दी जाती है.