
BBC documentary : साल 2002 गुजरात दंगों पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन (India : The Modi Question) को लेकर अब बवाल बढ़ता ही जा रहा है। बवाल की शुरूआत हुई दक्षिण भारत में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से। जहां एक छात्र संगठन ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। उसी स्क्रीनिंग को लेकर जमकर बवाल हुआ। छात्रों को विश्वविद्यालय की तरफ से मना भी किया गया था लेकिन छात्र नहीं मानें। लिहाजा अब विश्वविद्यालय ने प्रशासनिक अधिकारियों से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है।
उसी तर्ज पर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर खूब बवाल हुआ। असल में ये बवाल इसलिए भी है क्योंकि बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत सरकार का रुख एकदम साफ है। और सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन पर हर तरह से रोक लगा दी है।
सरकार के रोक लगा देने के बाद से ही इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर देश भर में अलग तरह की जागरूकता देखने को मिल रही है। हर कोई किसी न किसी सोर्स के जरिए इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के जुगाड़ में लगा हुआ है। सवाल उठता है कि आखिर उस डॉक्यूमेंट्री में ऐसा क्या है जिसकी वजह से बवाल ने आसमान सर पर उठा लिया है।
असल में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में 2002 में गुजरात में हुए दंगे की पूरी रिपोर्टिंग है। उस दौर में किस नेता की क्या हैसियत थी...किस नेता ने दंगों को लेकर क्या कहा...गुजरात में दंगों की शुरुआत कैसे हुई...दंगों का वो कौन सा सच है जो अभी तक मीडिया सामने नहीं ला सका, और उसके बारे में तबके ब्रिटिश हाईकमीशन और ब्रिटेन के विदेश मंत्री का क्या कहना था।
BBC Documentary news : इतना ही नहीं...उन दंगों के बाद गुजरात में साम्प्रदायिक सौहार्द का क्या आलम था...उस दौरान गुजरात के पुलिसवालों की कैसी भूमिका थी और कौन कौन से पुलिस अफसरों को इन दंगों में अलग अलग भूमिका किस तरह से दी गई थी और उन तमाम पुलिसवालों ने अपनी भूमिकाओं को कैसे कैसे निभाया...इन सारी बातों को डॉक्यूमेंट्री में जिक्र किया गया है। इतना ही नहीं अपनी बात को प्रामाणिक बनाने के लिए डॉक्यूमेंट्री की रिपोर्ट ने उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कई सवाल किए।
तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से बीबीसी की रिपोर्टर ने कैसे कैसे सवाल किए और उनका नरेंद्र मोदी ने किस तरह जवाब दिया, ये सब कुछ डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है। जाहिर है कि डॉक्यूमेंट्री में गुजरात की उस वक़्त की सरकार को सवालों के दायरे में रखा गया है, जबकि गुजरात दंगों को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है।
BBC Documentary latest : लिहाजा इसी फैसले की रोशनी में गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लोग देखने को बेताब हैं। असल में गुजरात दंगों के दौरान वहां की तमाम व्यवस्था के साथ साथ उस वक़्त मीडिया में उठे सवालों को भी इसका हिस्सा बनाया गया है। मगर जबसे सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर पाबंदी लगा दी इसका प्रचार प्रसार और भी ज़्यादा तेजी से हो गया और लोग अब इस ज़िद में देखने को आमादा हैं कि आखिर वो कौन सी ऐसी बात है जिसे देखने से सरकार उन्हें रोकना चाहती है।
हालांकि इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर सरकार ने अपना रुख पूरी तरह से साफ कर दिया है। यू ट्यूब और ट्विटर पर इस डॉक्यूमेंट्री को पूरी तरह से बैन करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया है कि ये बीबीसी की ओर से तैयार डॉक्यूमेंट्री दुष्प्रचार का हथकंडा है। सरकार मानती है कि इस डॉक्यूमेंट्री में निष्पक्षता का अभाव है और ये पूरी तरह से औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाती है।
सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर पाबंदी भले ही लगा दी हो, लेकिन हैदराबाद के बाद जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में इसकी खुलेआम स्क्रीनिंग की गई। और 25 जनवरी की शाम को भी दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में भी इसकी स्क्रीनिंग करने की घोषणा कर दी गई है जिसको लेकर कैंपस में पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त किया गया है।