
Umesh Pal Murder Update: 24 फरवरी को प्रयागराज की सड़कों पर सनसनी मचाने वाली इस हकीकत ने अब तस्वीर बनकर यूपी पुलिस की नींद हराम कर रखी है। क्योंकि यूपी पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ अब तक ये तो जान चुकी है या ये भी कहें कि पुलिस यहां तक दावा कर रही है कि हत्याकांड की पूरी साज़िश का एक सिरा उसे मिल चुका है, लेकिन उसका दूसरा सिरा कहां तक जा रहा है, इसका अंदाजा तक यूपी पुलिस नहीं लगा पा रही। और इसी चक्कर में तीन हफ्तों के बाद भी उसके हाथ मजबूत सुराग और सबूतों के बिना पूरी तरह से खाली बने हुए हैं।
सूबे के इस समय के सबसे बड़े हत्याकांड की वारदात की उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाने में लगी उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए अब ये एक बड़ी चुनौती भी बन गई है। यूपी पुलिस के आला अफसरों की मानें तो ये हत्याकांड उनके लिए इतना बड़ा सिरदर्द बन जाएगा, और इतनी बड़ी चुनौती हो जाएगा, उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था।
आलम ये है कि करीब 150 से ज़्यादा पुलिस वाले हाथों में हथकड़ी लेकर इस हत्याकांड के किरदारों की तलाश में अब हिन्दुस्तान की हद को भी लांघने लगे हैं। बताया जा रहा है कि करीब डेढ़ सौ पुलिसवाले और STF की 22 टीमें इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाने के लिए दो देशों का चप्पा चप्पा खंगालने में जुटी हैं। ऐसे में ये भी कहा जा सकता है कि प्रदेश के सबसे बड़े हत्याकांड के लिए यूपी पुलिस ने सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन भी लॉंच कर रखा है। कहना लाजमी है कि उमेश पाल हत्याकांड की जांच अब इंटरनेशनल हो गईहै। और कातिलों की तलाश में भारत के पांच प्रदेशों के अलावा पड़ोसी नेपाल तक में एक दर्जन से ज़्यादा आईपीएस और पीसीएस अफसर इस हत्याकांड की गुत्थियों को सुलझाने और कातिलों की तलाश में जुटे हुए हैं। यूपी पुलिस के सूत्रों से मिली खबरों पर यकीन किया जाए तो इस हत्याकांड में शामिल हरेक शूटर की तलाश के लिए तीन डेडिकेटेड टीमों को लगा दिया गया है। और अभी तक 100 से ज़्यादा ठिकानों पर छापामारी भी की जा चुकी है, लेकिन इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस के तमाम आरोपी अब तक पुलिस की पहुँच से बाहर बने हुए हैं।
इस हत्याकांड के इतने दिन गुज़रने के बाद उत्तर प्रदेशपुलिस के पास कहने को कुछ भी नहीं है। ले देकर इस केस में अपनी कामयाबी दिखाने के नाम पर कुछ मकानों को मटियामेट करने, दो गुर्गों को एनकाउंटर में ढेर करने और इस पूरी साज़िश में शामिल एक किरदार को गिरफ्तार करने के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके आधार पर वो संतोष की सांस तक ले सके। अभी तक पुलिस ना तो किसी शूटर को गिरफ्तार कर सकी है और न ही किसी ऐसे किरदार से सवाल जवाब कर सकी है जो इस पूरे हत्याकांड की साज़िश का हिस्सा रहा हो।
पुलिस की हैरानी और हताशा इसी बात से नज़र आने लगी है कि वो हर गुजरते हफ्ते के साथ हत्याकांड के साजिशकर्ताओं और शूटरों के सिर पर इनामी रकम बढ़ाती जा रही है। यहां तक कि अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के सिर पर भी 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया है। मगर आलम ये है कि इनाम की रकम 50 हजार रुपये से ढाई लाख रुपये तक पहुँचने के बावजूद इस वारदात में शामिल पांच शूटर नदारद हैं।
इस हत्याकांड के ढाई लाख के इनामी पांच शूटरों में अतीक अहमद का बेटा असद अहमद, शूटर अरमान, शूटआउट में शामिल मोहम्मद गुलाम, अतीक का पुराना वफादार और बमबाज गुड्डू मुस्लिम इसके अलावा अतीक का पुराना ड्राइवर मोहम्मद साबिर का नाम शामिल है। यानी पुलिस के हाथ अभी इस पूरी वारदात के असली किरदारों के गिरेबान से बहुत दूर नज़र आ रहे हैं। फिलहाल पुलिस का फोकस इन पांच राज्यों के उन 13 ज़िलों पर है जहां अतीक और उसके गैंग के होने की तनिक भी गुंजाइश है।
वैसे पुलिस के लिए टारगेट नंबर वन है अतीक का बेटा असद अहमद। क्योंकि वारदात को अंजाम देने के लिए शूटरों को लीड करने का जिम्मा किसी और पर नहीं, असद ने ही संभाल रखा था। और सीसीटीवी की तस्वीरों में उसकी शक्ल भी झलक रही है। यानी पुलिस के सामने ये पहली शर्त है कि इस केस को सुलझाने के लिए उसे असद को गिरफ्तार करना ही होगा और उससे पूछताछ करनी ही होगी। पुलिस का शक यही है कि असद यूपी से कहीं दूर गुजरात के किसी सेफ हाउस में हो सकता है। क्योंकि अंदेशा यही है कि साबरमती में रहते हुए अतीक अहमद ने अपना जाल गुजरात तक में फैला रखा है।